TDS New Rules: अपने भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए अधिकांश लोग अपनी बचत को फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) जैसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में लगाते हैं। एफडी एक ऐसा माध्यम है जो निवेशकों को निश्चित अवधि के बाद सुनिश्चित रिटर्न प्रदान करता है। यदि आप भी एफडी में निवेश करते हैं या निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण समाचार है। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) के नियमों में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे। इन नए नियमों से एफडी निवेशकों सहित कई श्रेणियों के लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है।
टीडीएस क्या है और यह कब लागू होता है?
टीडीएस का अर्थ है ‘टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स’, जिसका मतलब है स्रोत पर काटा जाने वाला कर। जब आप बैंक में एफडी करवाते हैं, तो इस पर आपको ब्याज मिलता है। यदि यह ब्याज एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाता है, तो बैंक को इस पर टीडीएस काटना होता है। यह एक प्रकार का अग्रिम कर संग्रह है, जिसे बैंक सीधे आपके ब्याज से काटकर सरकार को भेज देता है।
वर्तमान में, सामान्य नागरिकों के लिए एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस की सीमा 40,000 रुपये है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या उससे अधिक आयु) के लिए यह सीमा 50,000 रुपये है। लेकिन अब सरकार ने इन सीमाओं में बदलाव करने का फैसला लिया है, जिससे निवेशकों को लाभ होगा।
सामान्य नागरिकों के लिए बढ़ी टीडीएस की सीमा
केंद्रीय बजट 2025 में सरकार ने सामान्य नागरिकों के लिए ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा को 40,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दिया है। यह बदलाव 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इसका अर्थ है कि अगर किसी व्यक्ति की वार्षिक ब्याज आय 50,000 रुपये से कम है, तो उसके ब्याज से कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
यह बदलाव उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा, जिनकी आय का प्रमुख स्रोत एफडी पर मिलने वाला ब्याज है। इससे उन्हें न केवल अधिक नकद राशि प्राप्त होगी, बल्कि टीडीएस रिफंड के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की झंझट से भी राहत मिलेगी, खासकर यदि उनकी कुल आय कर योग्य सीमा से नीचे है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए दोगुनी हुई टीडीएस सीमा
वरिष्ठ नागरिकों के लिए सरकार ने और भी बड़ी राहत प्रदान की है। 1 अप्रैल 2025 से, वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर टीडीएस की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर दोगुना यानी 1,00,000 रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब वरिष्ठ नागरिक एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये तक ब्याज कमा सकते हैं, और उस पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा।
यह नियम न केवल फिक्स्ड डिपॉजिट पर लागू होता है, बल्कि रिकरिंग डिपॉजिट और अन्य बचत साधनों से प्राप्त ब्याज पर भी लागू होता है। यह बदलाव वरिष्ठ नागरिकों के लिए बहुत बड़ी राहत है, खासकर उन लोगों के लिए जो सेवानिवृत्ति के बाद अपनी बचत पर मिलने वाले ब्याज पर निर्भर हैं।
लॉटरी और गेमिंग से जुड़े टीडीएस नियमों में बदलाव
सरकार ने लॉटरी, क्रॉसवर्ड पज़ल, कार्ड गेम और अन्य गेम या प्रतियोगिताओं से जीती गई राशि पर लगने वाले टीडीएस के नियमों को भी सरल बना दिया है। पहले के नियम के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति की एक वित्तीय वर्ष में कुल जीत 10,000 रुपये से अधिक होती थी, तो उस पर टीडीएस काटा जाता था।
लेकिन अब नए नियम के अनुसार, टीडीएस केवल तभी काटा जाएगा जब एक लेनदेन में जीती गई राशि 10,000 रुपये से अधिक होगी। यह बदलाव भी 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा और इससे लॉटरी और गेमिंग से जुड़े लेनदेन में पारदर्शिता आएगी।
बीमा एजेंटों और ब्रोकर्स के लिए लाभदायक बदलाव
टीडीएस नियमों में किए गए बदलावों में बीमा एजेंटों और ब्रोकर्स के लिए भी राहत शामिल है। सरकार ने बीमा एजेंटों और ब्रोकर्स को मिलने वाले कमीशन पर टीडीएस की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 20,000 रुपये कर दिया है।
इसका अर्थ है कि अब बीमा एजेंट और ब्रोकर एक वित्तीय वर्ष में 20,000 रुपये तक का कमीशन टीडीएस कटौती के बिना प्राप्त कर सकते हैं। यह बदलाव बीमा क्षेत्र में काम करने वाले एजेंटों और ब्रोकर्स के लिए प्रोत्साहन के रूप में देखा जा रहा है।
म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार निवेशकों के लिए राहत
शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए भी अच्छी खबर है। सरकार ने लाभांश (डिविडेंड) आय पर टीडीएस की सीमा को 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया है।
इसका मतलब है कि अब निवेशक एक वित्तीय वर्ष में 10,000 रुपये तक का लाभांश बिना किसी टीडीएस कटौती के प्राप्त कर सकते हैं। यह बदलाव उन निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा जो अपने निवेश से नियमित आय प्राप्त करते हैं।
टीडीएस नियमों में बदलाव का प्रभाव और महत्व
केंद्र सरकार द्वारा किए गए इन बदलावों का उद्देश्य निवेशकों पर कर बोझ को कम करना और निवेश को प्रोत्साहित करना है। टीडीएस की सीमाओं में वृद्धि से निवेशकों को अपने ब्याज या आय से अधिक नकद राशि प्राप्त होगी, जिससे उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी।
ये बदलाव विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों के लिए फायदेमंद हैं, जो अक्सर अपनी बचत पर मिलने वाले ब्याज पर निर्भर रहते हैं। टीडीएस की सीमा बढ़ने से उन्हें अपने ब्याज से अधिक राशि प्राप्त होगी, जिससे उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
इसके अलावा, इन बदलावों से आयकर रिटर्न दाखिल करने और टीडीएस रिफंड प्राप्त करने की प्रक्रिया भी सरल होगी। अब कई निवेशकों को टीडीएस रिफंड के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, खासकर यदि उनकी कुल आय कर योग्य सीमा से नीचे है।
केंद्र सरकार द्वारा टीडीएस नियमों में किए गए ये बदलाव निवेशकों के लिए स्वागत योग्य कदम हैं। ये बदलाव न केवल निवेशकों पर कर बोझ को कम करेंगे, बल्कि निवेश को भी प्रोत्साहित करेंगे। विशेष रूप से, वरिष्ठ नागरिकों और छोटे निवेशकों को इन बदलावों से सबसे अधिक लाभ होगा।
यदि आप एफडी या अन्य बचत साधनों में निवेश करते हैं, तो इन नए नियमों को ध्यान में रखकर अपनी निवेश रणनीति बना सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए, आप अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से संपर्क कर सकते हैं। 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले ये नए टीडीएस नियम निश्चित रूप से निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आएंगे।
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और इसे कानूनी या वित्तीय सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। कृपया अपने निवेश निर्णय लेने से पहले किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। टैक्स नियम और नीतियां समय-समय पर बदल सकती हैं, इसलिए अद्यतन जानकारी के लिए आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या अपने कर सलाहकार से संपर्क करें।