Dearness Allowance Merger : केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है। 8वें वेतन आयोग के आने के साथ ही महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) को बेसिक सैलरी और बेसिक पेंशन में मर्ज करके जीरो किया जाने वाला है। यह प्रक्रिया हर नए वेतन आयोग के लागू होने पर अपनाई जाती है और इसका सरकारी कर्मचारियों की आय पर सीधा प्रभाव पड़ता है। आइए समझते हैं कि यह प्रक्रिया कैसे होती है और इसका क्या असर हो सकता है।
वर्तमान महंगाई भत्ता दर
वर्तमान में केंद्रीय कर्मचारियों को 53 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। इसी प्रकार, पेंशनरों को भी इसी दर से महंगाई राहत दी जा रही है। महंगाई भत्ते को हर साल दो बार – 1 जनवरी और 1 जुलाई से प्रभावी होने वाले संशोधनों के साथ अपडेट किया जाता है। आमतौर पर इसकी घोषणा मार्च और अक्टूबर के महीनों में की जाती है। यह भत्ता मूल्य वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए दिया जाता है ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति बनी रहे।
8वें वेतन आयोग की स्थिति
केंद्र सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। नए वेतन आयोग का लाभ केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को 1 जनवरी 2026 से मिलना शुरू हो सकता है। नए वेतन आयोग के लागू होने से जहां एक ओर कर्मचारियों और पेंशनधारकों की आय में भारी बढ़ोतरी होगी, वहीं दूसरी ओर कुछ भत्तों में कटौती भी हो सकती है। विशेष रूप से, महंगाई भत्ता जीरो हो जाएगा क्योंकि इसे बेसिक सैलरी में मर्ज कर दिया जाएगा।
पेंशन में प्रस्तावित वृद्धि
वर्तमान में, सेवानिवृत्त कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक पेंशन 9,000 रुपये और अधिकतम पेंशन 1,25,000 रुपये प्रति माह है। 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.86 होने की संभावना है। यदि यह फिटमेंट फैक्टर लागू होता है, तो न्यूनतम पेंशन 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये प्रति माह हो जाएगी, जो कि 186 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी प्रकार, अधिकतम पेंशन भी बढ़कर 3,57,500 रुपये तक पहुंच सकती है। इस प्रकार, पेंशनरों को काफी लाभ मिलने की उम्मीद है।
महंगाई भत्ता कैसे होगा जीरो?
जब भी नया वेतन आयोग लागू होता है, तब महंगाई भत्ते को जीरो कर दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि मौजूदा महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी और बेसिक पेंशन में समाहित कर दिया जाता है। इसलिए, 8वें वेतन आयोग के लागू होने पर, वर्तमान 53 प्रतिशत महंगाई भत्ता (जो तब तक और बढ़ सकता है) बेसिक सैलरी या पेंशन का हिस्सा बन जाएगा, और नए सिरे से महंगाई भत्ते की गणना शुरू की जाएगी।
महंगाई भत्ते का कैलकुलेशन
महंगाई भत्ते की गणना ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI) के आधार पर की जाती है। 8वें वेतन आयोग के लागू होने से पहले, महंगाई भत्ते में और दो बार वृद्धि की जा सकती है – जनवरी 2025 में और जुलाई 2025 में। यदि हर बार तीन प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो वर्तमान 53 प्रतिशत से बढ़कर यह 59 प्रतिशत तक पहुंच सकता है। और अगर 8वें आयोग के लागू होने में देरी होती है, तो यह 2026 की जनवरी तक 62 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
DA मर्जर का प्रभाव
महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी में मर्ज करने का सीधा प्रभाव यह होगा कि कर्मचारियों की बेसिक सैलरी बढ़ जाएगी। चूंकि कई भत्ते और लाभ बेसिक सैलरी के प्रतिशत के रूप में गणना किए जाते हैं, इसलिए यह अन्य भत्तों जैसे हाउस रेंट अलाउंस (HRA), ट्रांसपोर्ट अलाउंस आदि को भी प्रभावित करेगा। इसके अलावा, प्रोविडेंट फंड योगदान और ग्रैच्युइटी जैसे लाभ भी बढ़ेंगे क्योंकि वे बेसिक सैलरी पर आधारित होते हैं।
कर्मचारियों पर समग्र प्रभाव
8वें वेतन आयोग के साथ महंगाई भत्ते के मर्जर का कर्मचारियों पर समग्र प्रभाव सकारात्मक होने की उम्मीद है। उनकी बेसिक सैलरी बढ़ेगी, जिससे अन्य भत्ते और लाभ भी बढ़ेंगे। हालांकि, नए महंगाई भत्ते की गणना शून्य से शुरू होगी और धीरे-धीरे बढ़ेगी। इसका मतलब यह है कि शुरुआत में, महंगाई भत्ते का योगदान उनकी कुल सैलरी में कम होगा, लेकिन समय के साथ यह फिर से बढ़ेगा।
8वें वेतन आयोग के आने के साथ, महंगाई भत्ते का बेसिक सैलरी और पेंशन में मर्जर एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए समग्र रूप से लाभकारी होगा, क्योंकि इससे उनकी बेसिक सैलरी और पेंशन में काफी वृद्धि होगी। हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि नए वेतन आयोग के लागू होने के बाद, महंगाई भत्ता फिर से शून्य से शुरू होगा और धीरे-धीरे बढ़ेगा। इसलिए, कर्मचारियों को अपने वित्तीय योजना में इस बदलाव को ध्यान में रखना चाहिए।
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। वेतन आयोग और महंगाई भत्ते से संबंधित नियमों और प्रक्रियाओं में बदलाव हो सकता है। किसी भी आधिकारिक जानकारी के लिए, कृपया सरकारी अधिसूचनाओं और प्रासंगिक विभागों की आधिकारिक वेबसाइटों का संदर्भ लें। लेखक या प्रकाशक इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर लिए गए किसी भी निर्णय के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।